Friday 29 June 2012

हिंदू विरोधी राजनीति के मायने |



हिंदू विरोधी राजनीति के मायने

भारत में सफल राजनीति करने का मूलमंत्र है.........हिंदुओं में अगड़ा-पिछड़ा....... दलित-महादलित के नाम पर फुट डालो, हिंदू हितों की अनदेखी करो, अल्पसंख्यकों के हित में तुष्टिकरण की बात करो......और सत्ता की मलाई काटो. गाँधी और नेहरू के द्वारा अपनाया गया ये फार्मूला.......आज भी भारत में अपनी राजनीति चमकाने का शॉर्ट-कट माना जाता है. मैंनें देखा है और इतिहास इस बात का प्रमाण देता है कि.........समय गुज़रने के साथ-साथ.......किसी समय में हिट रहा फार्मूला भी अपनी.......प्रसांगिकता खो देता है........लेकिन लगभग 100 वर्ष गुजरने के बाद भी........इस फार्मूले की सेहत पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा..........बल्कि समय गुजरने के साथ-साथ ये और भी भयानक रूप से असरकारक बनता गया. आख़िर ऐसा क्यूँ हुआ? आइए उन तथ्यों पर गौर करें, जो इसके लिए ज़िम्मेदार हैं या यूँ कहें की इस फार्मूले की जड़ मजबूत करने में सहायक सिद्ध हुए------

1. हिंदुओं में फुट --- इतिहास की जिसे थोड़ी भी जानकारी है, उन्हें पता है की हिंदू कभी एकजुट नहीं हो सकते. पहले तो ये वर्णों में बँटे हैं, फिर जाति और उपजाति में. इतिहास गवाह रहा है कि हिंदुओं में फुट डालना........हमेशा से आसान रहा है. आज भी नेता यही करते हैं और आसानी से हर कुकर्म करके, जाती के कवच से अपना बचाव करते हैं. 800 वर्षों की गुलामी के बाद भी हिंदू सुधरने को तैयार नहीं. 

2. लालच ----- 'आम्भि' और 'मान सिंह', से लेकर......आज़ादी का ड्रामा करनेवाले कॉंग्रेस के ज़्यादातर नेता इसके उदाहरण हैं........ जिन्होंनें अपने स्वार्थसिद्धि के लिए अपना जमीर बेंचा. 

3. महान बनने की ग़लतफहमी ----- भारत में बोद्ध-धर्म के फैलने के बाद  हिंदुओं में एक ऐसे वर्ग का विकास हुआ, जिन्होंनें अपने आपको विद्वान साबित करने के लिए......कायरता को अहिंसा का नाम दे दिया, जबकि दोनों में बड़ा फ़र्क है. आज भी इस तरह के स्वैंघोषित विद्वानों की कमी नहीं है, इन्होंनें अपनी बकवास से हिंदुओं को दिग्भ्रमित किया. इनलोगों ने अपने स्वार्थ-पूर्ति के लिये......हिंदुओं में वैचारिक रूप से जहर को फैलाया. परिणाम सबके सामने है---- पाकिस्तान और बांग्लादेश के रूप में.

4. हिंदुत्व के विरोध में अल्पसंख्यकों की गोलबंदी ---- हिंदू आपस में ही वैचारिक रूप से बँटे हुए हैं और मतलबपरस्तो को पता है ये कभी एक नहीं होंगें, इनका वोट कभी भी एकमूस्त नहीं पड़ेगा.......लेकिन हिंदू हितों के विरोधी होने (सेकुलरिजम) के नाम पर...... कुछ ऐसे हिंदू विरोधी समुदाय हैं जो......जो उनके पक्ष में एकमूस्त वोट डालेंगें.  

Thursday 21 June 2012

भारत का भविष्य हैं नरेन्द्र मोदी



भारत का भविष्य हैं नरेन्द्र मोदी

गंगा और जमुना की श्यामल गौर धाराएँ
सींचती है जिस धरा को वोह हिंदुस्तान है !

कश्मीर से मुखमंडल पर हिमालय सा ताज जिसके
सागर जिसके पग पखेरे वोह हिंदुस्तान है !!


गुजरात राज्य के वडनगर, मेहसाना जिला ( तब बॉम्बे राज्य हुआ करता था ) में 17 सितम्बर 1950 को जन्मे नरेन्द्र मोदी का पूरा नाम नरेन्द्र दामोदर दास मोदी है ! मध्यम वर्गीय श्री मूलचंद दामोदर दास मोदी और हीराबेन के छः संतानों में तीसरे नंबर पर आने वाले नरेन्द्र मोदी ने राजनीति शास्त्र से परा स्नातक किया है ! बचपन से ही देश सेवा के प्रति समर्पित श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भारतीय सैनिकों की खूब सेवा की ! नरेन्द्र मोदी ने बचपन में अपने अपने बड़े भाई के साथ मिलकर चाय की दूकान भी चलाई और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के सदस्य भी रहे ! अपने विश्वविद्यालय के समय में ये आर .एस .एस . के प्रचारक रहे और शकर सिंह वाघेला के साथ मिलकर गुजरात में संघ को मजबूत किया ! वाघेला उस वक्त गुजरात के बड़े नेता माने जाते थे और नरेन्द्र मोदी को रण नीति विशेषज्ञ ! भारतीय जनता पार्टी के नेता लाल कृष्ण आडवानी ने उनकी प्रतिभा को पहिचाना और गुजरात के साथ साथ हिमाचल का भी कार्यभार उनके कन्धों पर डाल दिया जिसे उन्होंने बखूबी निभाया !


सन 2001 से लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र भाई मोदी में आज भारत देश की जनता अपना भविष्य टटोल रही है ! भारत की जनता को पिछले कुछ वर्षों में इतना लूटा गया है कि अँगरेज़ भी अपने आपको शर्मिंदा महसूस करते होंगे ! आज भारत का सर्वाधिक काला धन बाहर के देशों में छुपा के रखा हुआ है लेकिन लाने की कोई हिम्मत नहीं करता , लाये भी कैसे उनके आकाओं का जो है !

 ये भारत देश का दुर्भाग्य है कि इसे ज्यादातर ऐसे प्रधानमंत्री मिले जो इस देश को अपनी बापोती समझते रहे और गरीबी हटाओ गरीबी हटाओ के चक्कर में अपना बैंक बैलेंस बढाते रहे !

 ये कैसी विडम्बना है कि भारत में लोकतंत्र होते हुए भी एक ही परिवार के तीन तीन प्रधानमन्त्री बन जाते हैं और चौथा अपने आप को इस पंक्ति में खड़ा पाता है ( लेकिन मुश्किल होगा ) !

 ऐसा क्या वो वरदान लेकर आते हैं ? वरदान नहीं वो भारत की जनता को मुर्ख बनाते आये हैं और अपना उल्लू सीधा करते आये हैं ! अगर जांच कराइ जाए तो उसी परिवार का सबसे ज्यादा काला धन विदेशों की बैंक में मिलेगा ! इन्होने अपने स्वार्थ की खातिर ही एक नेक इंसान और सीधे साधे डॉ . मनमोहन सिंह को बलि का बकरा बनाते हुए प्रधान मंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया जो ना कुछ बोलता है और ना कुछ करता है ! ऐसे विद्वान , देखने में ही अच्छे लगते हैं ! प्रधान मंत्री की कुर्सी को इन्होने एक खिलौना बना दिया ! लेकिन इसमें दोष हमारा भी है क्योंकि हम ही उनकी चालों को नहीं समझ पाते हैं और लगातार उन्हें वोट देते आये हैं लेकिन अब परिस्थतियाँ बदल रही हैं ! चाटुकार अब समझ रहे हैं कि ऐसे ज्यादा दिन नहीं चल सकता इसलिए बोरिया बिस्तर बाँधने का समय आ गया है !


नरेन्द्र मोदी के रूप में भारत को एक सक्षम , ईमानदार और तेज़ तर्रार प्रधानमन्त्री मिलने को है ! सही कहूं तो एक शेर आने को है जिसके डर से चूहों की फूंक सरक रही है और उसे रोकने के लिए सारे अश्त्र शाश्त्र का उपयोग किया जा रहा है लेकिन महा ठगिनी को ये नहीं मालूम कि ये वही नरेन्द्र मोदी है जिसकी तारीफ अमेरिका भी करता है !

 कॉरपोरेट के महारथी जिसके गुजरात के विकास के गीत गाते हैं , जनता जिसे लगातार अपने सिर आँखों पर बिठाये हुए है ! ऐसे नरेन्द्र मोदी की ही आज के भारत को जरूरत है ! महाठगिनी को ये डर है कि अगर मोदी प्रधान मंत्री की कुर्सी तक पहुँच गए तो उसके सारे पते ठिकाने ढूंढ लिए जायेंगे और वो बच नहीं पायेगी ! कभी कभी देश को ठगों से बचाने के लिए एक तानाशाही शाषक की जरूरत भी होती है और नरेन्द्र मोदी में वो सारे गुण परिलक्षित होते हैं जो एक शासक में होने चाहिए ! मुझे लगता है नरेन्द्र मोदी भारत के भविष्य हैं ! 

श्री हरिओम पंवार साब के शब्दों में :


मैं दरबारों के लिए अभिनन्दन गीत नहीं गाता
मैं ताजों के लिए समर्पण गीत नहीं गाता
गौण भले ही हो जाऊ मौन नहीं हो सकता मैं
पुत्र मोह में शस्त्र त्याग कर गुरु द्रोण नहीं हो सकता मैं
कितने ही पहरे बैठा दो मेरी क्रुद्ध निगाहों पर
मैं दिल्ली से बात करूँगा भीड़ भरे चौराहों पर
मैंने भू पर रश्मि -रथी का घोड़ा रुकते देखा है
पांच तमेंचो के आगे दिल्ली को झुकते देखा है
मैं दिल्ली का वंसज दिल्ली को दर्पण दिखलाता हूँ
इशलिये मैं अज्ञान -गंधा गीत सुनाता हूँ !!


नरेन्द्र मोदी पर ये आरोप लगता रहा है कि वो गोधरा कांड के आरोपी हैं ! रोने वाले सिर्फ एक समुदाय के नहीं हैं ! जिन्हें ना मालूम हो उनके लिए बताना चाहता हूँ की नरेन्द्र मोदी के मुख्य मंत्री के कार्यकाल में जितने दंगे हुए उससे ज्यादा कॉंग्रेस के शासनकाल में हुए हैं !

 कौन भूल सकता है अहमदाबाद में 1987 में हुए दंगों को ? अब ज़रा गोधरा की बात कर लेते हैं ! मगरमच्छ के आंसूं बहाने वालों से पूछना चाहता हूँ कि गोधरा के स्टेशन पर ट्रेन में आग किसने लगाईं और क्यूँ लगाईं ? क्या सिर्फ इसलिए कि वो अपने आराध्य श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए प्रण लेने गए थे ? ये उनका दोष था ? कहाँ से आया इतना पेट्रोल कि बोगियां की बोगियां जला डाली गयीं ? उनके जान नहीं थी ? उनके बीवी बच्चे नहीं थे ? उनको जलन नहीं होती ? वो इंसान नहीं थे ? या सिर्फ वो हिन्दू थे इसलिए उनको जलाकर मार डाला गया और जब इसका प्रतिवाद आया तो सबकी त्योरियां चढ़ गयीं ? क्यों ? क्या हिन्दुओं को इस देश में जीने का हक नहीं है ? उनका क्या दोष था ? क्या उनको मारना , ट्रेन को जलाना pre planning नहीं थी ?

 याद करिए राजीव गाँधी के शब्द जब इंदिरा जी की हत्या हुई थी ! याद आया ? उन्होंने कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो जमीन हिल ही जाती है और इसी को आधार बनाकर हजारों निर्दोष सिखों को लूटा गया और मौत के घाट उतारा गया ! तब कहाँ थी साम्प्रदायिकता की बात करने वाली ज़मात ? तब कहाँ थे धर्म निरपेक्षता का दंभ भरने वाले ? मैं बहुत छोटा था उस समय , लेकिन मेरे पिता बताया करते थे कि जो लोग दिल्ली में काम करते थे वो लगभग दूसरे तीसरे दिन बहुत सारा माल लेकर आया करते थे और जब पता पड़ा कि उन लोगों ने सिखों की दुकानों को लूट कर माल इकठ्ठा किया है तब कहाँ चली गयी मानवता ? वो भी उस समाज के प्रति जो हमारा ही एक अंग था , जिसने भारत की आज़ादी में पूरा साथ दिया ! उस समाज के साथ ये सलूक ?

 जब गोधरा में प्रतिवाद हुआ तब सब को लगा कि ये तो गलत हुआ , वो जो 57 कार सेवक मारे गए , निर्ममता से जलाये गए उनका किसी को कोई दुःख नहीं हुआ ? जब एक इंदिरा जी की हत्या के बदले हजारों सिखों को बर्बाद किया गया तब कुछ नहीं , जब अयोध्या से लौट रहे 57 निर्दोष कार सेवकों को जला दिया गया तब कुछ नहीं मगर जब इसका प्रतिवाद हुआ तो सब जैसे कब्र में से उठ खड़े हुए !


ज अगर देश को चोरों और महा ठगों से बचाए रखना है तो नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँचाना ही होगा अन्यथा हम अपने किये हुए पर पछताने के अलावा और कुछ नहीं कर पाएंगे और लूटने वाले देश को और ज्यादा लूटेंगे ! सुधि पाठक जानते हैं कि रूपया का क्या हाल हुआ पड़ा है , अभी और भी देखते जाइये ! ये महा ठगिनी इस देश के लोगों को जीने लायक नहीं छोड़ेगी ! इतने घोटाले होंगे और यही हाल रहेगा तो कोई भी यहाँ पैसा लगाने हिंदुस्तान में नहीं आएगा और फिर युवा वर्ग को नौकरियों के लाले पड़ जायेंगे ! भुखमरी होगी , अभी भी है और ज्यादा हो जाएगी ! देखते रहिये ! लूटने वाले लूट कर भाग जायेंगे और हम दाने दाने को मोहताज़ हो जायेंगे ! अब हजारों का घोटाला नहीं होता लाखों करोड़ का घोटाला होता है और प्रधानमंत्री कहता है कि कहीं कुछ नहीं हुआ ! ऐसा प्रधानमंत्री चाहिए था हमें ? चोरों का सरदार चाहिए था हमें ? एक रिमोट से चलने वाला प्रधानमंत्री चाहिए था हमें ? लल्लू और महाठगिनी को अपना बॉस मानने वाला प्रधानमंत्री चाहिए था हमें ? ये भारत के लोगों को सोचना होगा कि उन्हें देश का प्रधान मंत्री चाहिए या 10 जनपथ का आज्ञाकारी नौकर ?


नरेन्द्र मोदी को केवल एक पार्टी का नेता ना समझ कर देश का भविष्य माना जाये तो ज्यादा उचित होगा ! वो ना केवल भारतीय जनता पार्टी के खेवन हार हैं बल्कि भारत के उज्जवल भविष्य के प्रतीक भी हैं ! अभी मौका है भारत की जनता के पास कि आने वाले चुनावों में अपने विवेक का पूरा उपयोग करते हुए देश के गद्दारों से कुर्सी खींचकर देश हित सोचने वाले नरेन्द्र मोदी के हाथों में देश की बागडोर सौंपकर भारत के भविष्य को उज्जवल और चमकदार बना सके !


कर गयी पैदा तुझे उस कोख का एहसान है
सैनिकों के रक्त से आबाद हिन्दुस्तान है !!


जय हिंद ! जय हिंद की सेना !

Wednesday 20 June 2012

मंदिर जाएं तो घंटी जरूर बजाएं



मंदिर जाएं तो घंटी जरूर बजाएं



मंदिरों से हमेशा घंटी की आवाज आती रहती है। सामान्यत: सभी श्रद्धालु मंदिरों में लगी घंटी अवश्य बजाते हैं। 


  1.  घंटी की आवाज हमें ईश्वर की अनुभूति तो कराती है साथ ही हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। 
  2. घंटी आवाज से जो कंपन होता है उससे हमारे शरीर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  3.  घंटी की आवाज से हमारा दिमाग बुरे विचारों से हट जाता है और विचार शुद्ध बनते हैं।
  4. पुरातन काल से ही मंदिरों में घंटियां से लगाई जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि जिस मंदिर से घंटी बजने की आवाज नियमित आती है, उसे जागृत देव मंदिर कहते हैं। उल्लेखनीय है कि सुबह-शाम मंदिरों में जब पूजा-आरती की जाती है तो छोटी घंटियों, घंटों के अलाव घडिय़ाल भी बजाए जाते हैं। इन्हें विशेष ताल और गति से बजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि घंटी बजाने से मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति के देवता भी चैतन्य हो जाते हैं, जिससे उनकी पूजा प्रभावशाली तथा शीघ्र फल देने वाली होती है।
  5. पुराणों के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से हमारे कई पाप नष्ट हो जाते हैं।
  6.  जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद (आवाज) था, वहीं स्वर घंटी की आवाज से निकलती है। 
  7. यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जाग्रत होता है। 
  8. घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है। 
  9. धर्म शास्त्रियों के अनुसार जब प्रलय काल आएगा तब भी इसी प्रकार का नाद प्रकट होगा।
  10. मंदिरों में घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारण भी है। 
  11. जब घंटी बजाई जाती है तो उससे वातावरण में कंपन उत्पन्न होता है जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन की सीमा में आने वाले जीवाणु, विषाणु आदि सुक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं तथा मंदिर का तथा उसके आस-पास का वातावरण शुद्ध बना रहता है।
  12.  साथ ही इस कंपन का हमारे शरीर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। घंटी की आवाज से हमारा दिमाग बुरे विचारों से हट जाता है और विचार शुद्ध बनते हैं।
  13.  नकारात्मक सोच खत्म होती है।
  14.  इसी वजह से हम जब भी मंदिर जाए तो मंदिर की घंटी जरूर बजानी चाहिए।

Monday 18 June 2012

आमिर को सच्चाई से कोई मतलब नहीं......


आमिर को सच्चाई से कोई मतलब नहीं......

आमिर को सच्चाई से कोई मतलब नहीं है| ये फिल्मी लोग बड़े पर्दे पर तो पैसे के लिए अभिनय करते ही हैं.... और अब छोटे पर्दे पर भी वैसा ही कर रहे हैं| अगर इनको समाज से सही माने में कुरूतियों को दूर करना है तो स्टूडियो में बैठ कर चंद लोगो से बात करने से कुछ नही होगा उसके लिए एक पुरजोर जान आंदोलन की ज़रूरत है जैसे, गाँधी जी, अंबेडकर जी, फूले जी आदि ने चलाए थे|  कन्या भ्रूण के मामले, ओनर किल्लिंग, महिला उत्पीड़न (घरेलू हिंसा) अगर अमीर को समाज की सच्ची की बात करनी हो तो खुद महिल उत्पीड़न बंद करे (दो हिंदू औरतो से शादी की)|

  1. आमिरखान को एक शो और बनाना चाहिए दूसरी शादी करने के लिए पति द्वारा जबरन तलाक या छोड़ दी गई महिलाओं की दास्तान पर| 
  2. एक शो उन महिलाओं की जिंदगी पर जिनके पति ने एक से ज्यादा शादियाँ कर रखीं हैं| 
  3. एक अन्य शो बनाना चाहिए जिसमें ज्यादा बच्चे रखने वाले गरीब व मध्यवर्गीय परिवारों की दास्तान पर |
  4.  एक शो जिहाद के नाम पर उत्पात मचानेवालों, गुंडागर्दी और नरसंहार करने वालों पर|
  5.  एक शो ईशनिंदा के नाम पर लोगों का हाथ काटने, देश से भागने पर मजबूर कर देने या जान से मार देने वालों व उन्हें समर्थन देने वालों पर| 
  6. एक शो एक ही देश में एक धर्मविशेष के लोगों को चार शादियाँ और जब चाहे किसी भी बीबी को चटपट तलाक देने के अधिकार पर |
  7. एक अन्य शो वालीवुड की तमाम अभिनेत्रियों या वैसी अन्य महिलाओं पर जो शादीसुदा लोगों से शादी कर उनकी पहली पत्नी का जीवन नरक बना देती हैं|

Sunday 17 June 2012

लविंग जेहाद


लविंग जेहाद



अभी हाल ही में मेरठ शहर में लविंग जेहाद चलाने वाले मुस्लिम गुंडों का एक गिरोह पकड़ा गया है. पकड़ा भी इस लिए गया क्योकि इस बार जिस लड़की को उन्होंने अपनी वासना का शिकार बनाया वो एक सांसद की पोती थी .अगर आम परिवार से होती तो ये केस कभी नहीं खुल पाता. मेरठ की पुलिस व एल आई यु ने भी इसे स्पष्ट रूप से लविंग जेहाद का विषय माना है.आज मई यहाँ लविंग जेहाद के बारे में कुछ बाते स्पष्ट कर रहा हूँ ये सभी बाते मैंने ऑरकुट से ली है. आशा करता हूँ की इन सभी बातों को आप सभी हर हिन्दू तक पहुचने की कोशिस करेंगे . 



लविंग जेहाद क्यों?


आर्य भूमि से इस्लामिक सेनाए जिंदा वापस नहीं जाती थी ,इसलिए भारत में इस्लामी सेनाए हमला करने को तैयार ना होती थी ,उस वक्त भारत के मंदिरों के धन से ज्यादा भारत की औरतो का लालच दे कर जेहादी नेता अपनी सेनाओ को मना पाते थे भारत पर हमला करने के लिए | “औरतो की लूट” नामक एक किताब तक लिखी जा चुकी हैं जिसमे मुसलमानों द्वारा हिंदू स्त्रियों को लूट के सामान की तरह ले जाने के लिए ह्रदय कम्पित देने वाले आकडे है | समय बदल गया हैं , आज औरतो को मुस्लमान एक गैर इस्लामिक देश में ऐसे ही उठा के नहीं ले जा सकते बंगलादेश या पाकिस्तान की बात अलग हैं किन्तु भारत में और यूरोप में इन्होने इस्लाम को बढ़ाने के अलग तरीके अपना रखे हैं और इन तरीकों में सबसे खतरनाक तरीका है गैर मुस्लमान औरतो से बच्चे पैदा कर के इस्लाम को बढ़ाने का |मुसलमानों के आबादी बढाने व हिन्दू संस्कृति के नष्ट करने के इसी तरीके को लव जेहाद कहा गया है.



लव जेहाद क्यों और कैसे?


१.मुस्लिम लडको को मौलवियो व अन्य इस्लामिक संगठन द्वारा हिंदू लडकियो को फ़साने को ना केवल प्रोत्साहित किया जाता हैं अपितु इनाम के तौर पर या कहे घर बसाने के नाम पर बड़ी रकम भी रखी जाती हैं | ये रकम जेहाद के नाम पर , जकात के नाम पर , जिज्या के नाम या आपके द्वारा पेट्रोल पर दी हुई रकम से ली जाती हैं |
२. कम से कम ४-५ लड़के (ज्यादा भी हो सकते हैं ) अपास में मिल के हिंदू लडकियो को चुनते हैं |
३. ये लड़के गर्ल्स कालेज के बाहर , कंप्यूटर संसथान के बाहर या अंदर , या कोचिंग संस्थानों के आसपास घुमते रहते हैं | कभी लेडिस टेलर की दुकान पर तो कभी इन्टरनेट पर सोसिअल नेटवर्क से लेकर याहू चैट रूम तक हर वो जगह जहा इन्हें हिंदू लड़किया मिल सकती हैं ,ghat लगाये रहते हैं |
४. ज्यादातर मौको पर ये लड़के खुद को हिंदू ही दिखाने का प्रयास करते हैं | अच्छा मोबाइल सेट, कपडे , वा मोटर साइकिल आकर्षण के तौर पर इनका हथियार होते हैं |




५. दक्षिण भारत में तो मुल्ला मौलवी इन लडको के लिए पर्सोनालिटी डेवेलोप्मेंट कोर्से चलवा देते हैं | किस तरह बात की जाए लडकियो से , उन्हें कैसे तोहफे दिए जाए और किस प्रकार सेकुलर बन कर उनसे सिर्फ प्यार मोहब्बत की बात कर के खूबसूरत सपने दिखाए जाए |
६. फिल्म उद्योग में बढते खान मेनिया से ये अब और भी सरल हो गया हैं | ज्यादातर हीरो खान होते हैं ऐसी मानसिकता लड़कियों में तेजी से बढ़ रही हैं जो की समाज के लिए बहुत की घातक हैं |
७.अगर हिंदू लड़की निश्चित समय में नहीं फसती तो लव जेहादी अपने किसी दूसरे मित्र को उसके पीछे लगा देता हैं और खुद किसी और के पीछे लग जाता हैं | इसे लड़की फॉरवर्ड करना कहते हैं |
८. जल्द ही ये लड़के भोली भाली हिंदू लडकियो को अपने प्यार के जाल में फसा लेते हैं | उनमे से कई तो शारीरिक सम्बन्ध भी स्थापित कर लेते हैं |
९.एक बार लड़की से सम्बन्ध स्थापित हो गए तो लड़की को घर से भागने के लिए मनाने में इन्हें देर नहीं लगती |
१०इस्लामी तरीके से शादी के नाम पर मुस्लिम लड़का, लड़की को शादी से पहले इस्लाम कुबूल करने पर मजबूर कर लेता हैं .

११. लड़की को भगा के इस्लामिक शादी कर ले जाने के बाद लड़की के साथ निम्न में से एक घटना होती हैं क ) लड़का लड़की का पूरी तरह भोग कर के उसके शहर से चार पाच सौ किलोमीटर दूर बेच देता हैं
,यानि लड़की को वैश्या व्रती के दल दल में डाल देता हैं |

ख ) लड़की को पता चलता हैं के लड़का पहले से ही २-३ शादिया करे बैठा हैं | और उसे भी नकाब में बंद एक कमरा मिलता हैं |
घ ) लड़की की किस्मत अच्छी होती हैं और वो उसकी पहली बीवी ही निकलती हैं | इस पारिस्थि में लड़की नकाब में तो कैद होती हैं पर उसे अपने २-३ सौतनो का इन्तेज़ार करना पड़ता है | और लड़के की गुलाम बन कर रह जाती हैं क्यों की वो इस्लाम कुबूल कर चुकी होती हैं और इस्लाम में औरत को तलाक का कोई अधिकार नहीं होता |

लव जेहाद के नुकसान

१. एक हिंदू लड़की के मुसलमान बन्ने से कम से कम ८ हिन्दुओ की हानि होती हैं |
२. जो लड़की मुसलमान बनती हैं वह एक , जिसके साथ भागती हैं उसके लिए कम से कम ४ बच्चे पैदा करती हैं , अगर वहा लड़की ना भागती और किसी हिंदू के साथ शादी करती और वहा समझदार होता तो कम से कम ३ बच्चे पैदा करता इस प्रकार १+४+३=८ हिन्दुओ का नुकसान होता हैं |
३. अब जरा अनुमान लगाइए के ८ हिंदू अगले पच्चीस साल में ३ बच्चे भी पैदा करते तो २४ और वो अगले पच्चीस साल में ७२ इस प्रकार सौ साल में ४३२ हिन्दुओ का नुकसान होता है सिर्फ एक हिंदू लड़की के जाने से |
४. वही एक मुस्लमान एक हिंदू लड़की से ४ बच्चे पैदा करता हैं वो ४ अगले पचीस साल में १६ बच्चे पैदा करते हैं वो १६ अगले पचीस साल में ६४ बच्चे पैदा करते हैं इस प्रकार ५१२ मुसलमानों की वृधि होती हैं |
५. अब जोडीये जरा ४३२ + ५१२ = ९४४ हिन्दुओ का नुकसान सौ साल में बिना किसी तलवार के जोर के .
६. इन्टरनेट पर उपलब्ध आकडो के अनुसार हर साल १ लाख से ऊपर हिंदू लड़किया मुस्लिम लडको के साथ निकाह कर रही हैं तो अब जरा गुना करिये ९४४ * १००००० = ९४४००००० यानि
अगले सौ सालो में नौ करोड़ चौवालीस लाख का अंतर बैठेगा | ये आकड़ा बड़ा जरुर लगता होगा पर इसमें मृत्यु दर, नापुसकता दर , वा अन्य घटी भी लगा ले तो भी ये अकडा करोड़ों में ही रहेगा |

७. आने वाले समय में हिन्दुओ का सुपडा साफ़ हो जाएगा | लड़किया दोनों समुदायों में कम हैं पर हिंदू आबादी पर हो रहे इस विशेष तकनिकी हमले की वजह से हिंदू वृधि दर को नकारात्मक में जाने में देर नहीं लगेगी |
८. जो हिंदू ८०० सालो की जबरदस्त मार काट के बावजूद ८० करोड़ बचा हुआ था वो मात्र लव जेहाद से अगले सौ सालो में लुप्त होने की कगार पर पहुच जाएगा |

केवल हिंदू ही राष्ट्र है



केवल हिंदू ही राष्ट्र है

किसी भी देश की उन्नति उस देश में रहने वाले उस समुदाय से होती है,जो कि उस देश की धरती को अपनी मात्र भूमि, पितृ भूमि व पुज्य्भूमि मानता है। जिसकी निष्ठां देश को समर्पित हो। भारत में रहने वाला ऐसा समाज केवल हिंदू है,और हिंदू की परिभाषा भी यही कहती है कि जो व्यक्ति भारत भूमि को अपनी मात्रभूमि, पितृ भूमि ,व पुण्यभूमि मानता है वह हिंदू है । ऐसे में कहा जा सकता है कि मुसलमान व इसाई को छोढ़कर भारत में प्रय्तेक पंथ को मानने वाला व्यक्ति, चाहे वह सनातनी हो,बोद्ध हो,जैन हो,सिक्ख हो , हिंदू है। 

कुछ लोग इस बात को जरूर पूछना चाहेंगे की मुसलमान व इसाई हिंदू क्यो नही है? तो इसका कारण है उनकी पुन्य भूमि।एक मुसलमान मुसलमान पहले है भारतीय बाद में। क्यो कि भारत से ज्यादा उसका लगाव अरब से है ,मक्का से है। इसी प्रकार एक इसाई भारत से पहले जेरूसलम को पूजता है। उस पोप की आज्ञा उसकी उस राष्ट्रभक्ति पर भारी पड़ती है जो उसे वेटिकन सिटी से मिलती है।

भारत में जो भी हिस्सा हिंदू बहुल नही रहता वह हिस्सा या तो अलग हो जाता है या फ़िर अलग होने का प्रयास शुरू कर देता है। यूँ तो भारत में खालिस्तान की मांग भी उठी किंतु आम सिक्ख खालिस्तान का कभी समर्थक नही रहा। आज का जो पकिस्तान व बांग्लादेश है वह इस बात का सबसे बड़ा उदहारण है कि हिंदू कम होने पर वह हिस्सा भारत से कट गया। कश्मीर की समस्या पूरे विश्व के सामने है। इस समस्या का कारण सिर्फ़ वहाँ पर मुसलमानों की बहुलता होना है।आसाम की स्थिति भी मुस्लिमो की आबादी तेजी के साथ बढ़ने के कारण हाथ से निकलती जा रही है। वहां पर मुसलमानों ने चुनाव में अपने लिए अलग विधानसभा सीटों की मांग शुरू कर दी है। 

नागालेंड,मिजोरम मेघालय की स्थिति इसलिए जटिल होती जा रही है क्यों कि ये राज्य इसाई बहुसंख्यक हो चुके है,और स्वतंत्र इसाई राष्ट्र की मांग कर रहे है। इनमे विदेशी पादरियों की भूमिका स्पष्ट दिखाई देती है। 

स्वामी विवेकानंद के अनुसार "जब कोई हिंदू धर्म परिवर्तन करता है तब एक हिंदू ही कम नही होता ,बल्कि उसका एक शत्रु भी बढ़ जाता है। "

इन महापुरुष ने भी यही बात अपने उपरोक्त शब्दों में स्पष्ट रूप से बता दी है कि भारत में राष्ट्र वाद केवल हिंदू में है। बाकि सब राष्ट्र विरोधी है। 

भारत एक धर्मनिरपेक्स देश है। परन्तु देखिये की कश्मीर व नागालैंड में आप लोग जमीन नही खरीद सकते, केवल मात्र इसलिए की वो प्रदेश मुस्लिम बाहुल्य व इसाई बाहुल्य हैं।ये तो धर्म के नाम पर साफ बंटवारा है। 

अतःस्पष्ट है की भारत में राष्ट्रवाद व हिंदू समाज दोनों ही एक शब्द के पर्यायवाची है। भारत में राष्ट्र व राष्ट्रवाद वहीं है जहाँ हिंदू बाहुल्य में है,अन्यथा भारत के कई टुकड़े हो चुके है।




Saturday 16 June 2012

श्री नाथूराम गोडसे का गाँधी-वध के कारण


श्री नाथूराम गोडसे का गाँधी-वध के कारण

गाँधी-वध के मुकद्दमें के दौरान न्यायमूर्ति खोसला से नाथूराम ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर सुनाने की अनुमति माँगी थी और उसे यह अनुमति मिली थी। नाथूराम गोडसे का यह न्यायालयीन वक्तव्य भारत सरकार द्वारा प्रतिबन्धित कर दिया गया था। इस प्रतिबन्ध के विरुद्ध नाथूराम गोडसे के भाई तथा गाँधी-वध के सह-अभियुक्त गोपाल गोडसे ने ६० वर्षों तक वैधानिक लडाई लड़ी और उसके फलस्वरूप सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रतिबन्ध को हटा लिया तथा उस वक्तव्य के प्रकाशन की अनुमति दी। नाथूराम गोडसे ने न्यायालय के समक्ष गाँधी-वध के जो १५० कारण बताये थे उनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: -

1. अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (१९१९) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के नायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाये। गाँधी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से स्पष्ठ मना कर दिया।

2. भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गाँधी की ओर देख रहा था, कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचायें, किन्तु गाँधी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया।

3. ६ मई १९४६ को समाजवादी कार्यकर्ताओं को दिये गये अपने सम्बोधन में गाँधी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।

4. मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए १९२१ में गाँधी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग १५०० हिन्दू मारे गये व २००० से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गाँधी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।

5. १९२६ में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द की अब्दुल रशीद नामक मुस्लिम युवक ने हत्या कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गाँधी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिये अहितकारी घोषित किया।

6. गाँधी ने अनेक अवसरों पर शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोबिन्द सिंह को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।

7. गाँधी ने जहाँ एक ओर कश्मीर के हिन्दू राजा हरि सिंह को कश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दू बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।

8. यह गाँधी ही थे जिन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।

9. कांग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिये बनी समिति (१९३१) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी की जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।

10. कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गाँधी पट्टाभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण प�� त्याग दिया।

11. लाहौर कांग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गाँधी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।

12. १४-१५ १९४७ जून को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गाँधी ने वहाँ पहुँच कर प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।

13. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गाँधी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे; ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और १३ जनवरी १९४८ को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।

14. पाकिस्तान से आये विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गाँधी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।

15. २२ अक्तूबर १९४७ को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउण्टबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को ५५ करोड़ रुपये की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गाँधी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।

16. जिन्ना की मांग थी कि पश्चिमी पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान जाने में बहुत समय लगता है और हवाई जहाज से जाने की सभी की औकात नहीं| तो हमको बिलकुल बीच भारत से एक कोरिडोर बना कर दिया जाए.... जो लाहौर से ढाका जाता हो, दिल्ली के पास से जाता हो..... जिसकी चौड़ाई कम से कम १६ किलोमीटर हो....४. १० मील के दोनों और सिर्फ मुस्लिम बस्तियां ही बने |



Friday 15 June 2012

अब नहीं रही दिल्ली दिलवालों की

अब नहीं रही दिल्ली दिलवालों की

पहले यह कहावत बेहद प्रचलित थी कि दिल्ली दिल वालों की, मुंबई पैसे वालों की यानी दिल्ली जो भ
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ी आता था उसे गुजर-बसर करने के लिए दो वक्त की रोटी और रात गुजारने के लिए आशियाना आसानी से मयस्सर हो जाता था। लेकिन हाल के कुछ बर्षों में बढ़ती महंगाई और सरकार की जन विरोधी नीतियों ने कम आय वाले लोगों को दिल्ली से भागने के लिए मजबूर कर दिया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को पैसे वालों का सेफ जोन कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
जनता के द्वारा और जनता के लिए चुनी गई सरकार ने दिल्ली से गरीब लोगों को भगाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए।


कल कारखानों को हटानाः पहले दिल्ली और आस-पास के इलाकों में छोटे मोटे कई कारखाने हुआ करते थे। इन कारखानों में देश भर से उन इलाकों के लोग काम करने आते थे जहां रोजगार के कोई साधन उपलब्ध नहीं होते थे। जिनसे उनके परिवार का भरण-पोषण होता था। पर्यावरण के नाम पर इन कारखानों को दिल्ली से निकाल दिया गया। जिससे हजारों लोगों का रोजगार छिन गया और उसे दिल्ली छोड़कर जाना पड़ा। पर गौर करने वाली बात यह है कि प्रदूशण फैलाने वाली डीजल और पेट्रोल की गाड़ियां दिल्ली में इस कदर बढ़ीं कि आज चारों महानगरों की गाड़ियों की संख्या से भी ज्यादा दिल्ली में गाड़ियां हैं। 


कॉमनवेल्थ खेलों के नाम पर: खेलों को किसी भी राष्ट्र की समृद्धि के रूप में देखा जाता है। जो देश जितना शक्तिशाली और समृद्ध होता है उस देश का खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय खेलों में उतना ही ज्यादा मेडल अपने देश के लिए जीतता है। इससे पता चलता है कि उस देश के आमलोगों का जीवन स्तर कितना ऊंचा है। वर्ष 2010 में भारत को पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित करने का अवसर मिला। इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के गेम्स का आयोजन देश की राजधानी दिल्ली में किया गया। देश की प्रतिष्ठा बचाने के लिए लोकतांत्रिक सरकार ने दिल्ली से गरीबों को खदेड़ना शुरू किया। जो लोग नदियों के किनारे या गंदे नाले-नालियों के पास झुग्गी-झोपड़ियां बनाकर रह रहे थे। उनके आशियानों पर बुल्डोजर चलाकर उन्हें यहां से बेदखल कर दिया गया।


कॉमनवेल्थ गेम्स का टैक्सः दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में आम जनता की एक लाख 76 हजार करोड़ की गाढ़ी कमाई फूंक दी गई। इस बंदरबाट का खुलासा सीएजी की रिपोर्ट में हुआ उसके बाद गेम्स के कर्ताधर्ता सुरेश कलमाडी को अनियमितता के आरोप में जेल की हवा खानी पड़ी। ये तो रहा, रुपये की लूट का खेल लेकिन उसके बाद गेम्स के ऊपर किए गए खर्चों की उगाही के लिए आम जनता पर टैक्स बढ़ा दिया गया। सीएनजी, गैस, पेट्रोल से लेकर खाने-पीने और पहनने की चीजों पर बेतहाशा टैक्स की बढ़ोतरी की गई। इससे महंगाई आसमान छूने लगी और कई परिवारों का दिल्ली छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।


परिवहन किराए में बढ़ोतरीः दिल्ली में डीटीसी बसों के किराए में एकाएक कई गुना वृद्धि की गई। मेट्रो किराए में भी वृद्धि की गई। इतना ही नहीं डीटीसी बसों में एसी बसों की संख्या बढ़ा दी गई। इसके बाद सरकार की जो साजिश शुरू हुई उसे जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। एसी बसों को उन रूटों पर भी ज्यादा चलाया गया जिस पर बहुत ही कम आय वाले लोग सफर करते हैं। ऑफिस जाने के समय अगर आप बस स्टॉप पर खड़े होकर नॉन एसी बसों का इंतजार कर रहे हैं तो आप इंतजार करते रह जाएंगे। ज्यादातर एसी बसें आपके सामने से होकर गुजरेंगी, इक्का-दुक्का नॉन एसी बसें ही देखने को मिलेंगी। ऐसा इसलिए किया जाता है कि जनता से सरकार ज्यादा से ज्यादा राजस्व हासिल कर सके। इसके साथ ही गरीब जनता परेशान होकर दिल्ली छोड़ दे। 


महंगा घरः आम लोगों को दिल्ली में घर सपना ही होता है फिर भी अपनी मेहनत की कमाई से तिनका-तिनका जोड़ कर कुछ लोग ही घर खरीदने में सक्षम हो पाते हैं। लेकिन आश्चर्य तब होता है जिस घर की कीमत पांच लाख रुपए होनी चाहिए उस घर की कीमत 40 से 50 लाख रुपए तक देना पड़ती है। इससे सिर्फ बिल्डरों को फायदा होता है। जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं देती। जो लोग घर नहीं खरीद पाते हैं उन्हें किराए के मकान में रहना पड़ता है। किराया भी हर साल इस रफ्तार से बढ़ता है कि लोगों को आधी कमाई किराए में निकल जाती है।


केंद्र सरकार और दिल्ली की इन साजिशों के चलते कम आय वाले लोगों को दिल्ली से भागने पर मजबूर होना पड़ रहा है। दिल्ली को अमीरों के लिए सेफ जोन बनाया जा रहा है। यों कहें कि परोक्ष रूप से गरीबों को भगाने की तैयारी है। 

Tuesday 12 June 2012

फतवा कैसे कैसे..



फतवा कैसे कैसे..

आये दिन मुस्लिम उलेमा कोई न कोई फ़तवा जारी करते और विवादों में रहते हैं , जो लोग  फतवों के बारे में नहीं जानते, उन्‍हें लगेगा कि यह कैसा समुदाय है, जो ऐसे फतवों पर जीता है। फतवा अरबी का लफ्ज़ है। इसका मायने होता है- किसी मामले में आलिम ए दीन की शरीअत के मुताबिक दी गयी राय। ये राय जिंदगी से जुड़े किसी भी मामले पर दी जा सकती है। फतवा यूँ ही नहीं दे दिया जाता है। फतवा कोई मांगता है तो दिया जाता है, फतवा जारी नहीं होता है। हर उलमा जो भी कहता है, वह भी फतवा नहीं हो सकता है। फतवे के साथ एक और बात ध्‍यान देने वाली है कि इस्लाम के अनुसार  फतवा मानने की कोई बाध्‍यता नहीं है। फतवा महज़ एक राय है। मानना न मानना, मांगने वाले की नीयत पर निर्भर करता है, लेकीन हिन्दुस्तान मे फतवा मुस्लमाने के लिये हिन्दुस्तान का संविधान से भी ज्याद महत्वपुर्ण है और  उसे मानना वो  अपना पहला धर्म हैं |

आईये देखते है कुछ फतवों के नमूने ....

गैर मुस्लिम से प्रेम करने के खिलाफ फ़तवा

चार दिन पहले दारुल उलम ने एक फ़तवा जारी किया जिसमें मुसलमनो को निर्देश दिया की वो गैर मुस्लिम लड़कियों  से तभी शादी  करे जब वो अपना धर्म छोड़ इस्लम अपनाने को राजी हों अन्यथा वो शादी  हरम होगी और इस केस में गैर मुस्लिम लड़की अपने अधिकार को लेके कोई दावा नहीं कर सकती ...यानि की बिना शरियत कानून के शादी मुस्लिम समुदाय  में मान्य नहीं होगी |



शराब पीकर तलक बोलने पर तलक जायज

दूसरा फ़तवा दारुल उलेमा देवबंद ने जारी करते हुए ये  कहा की यदि  कोई मुस्लिम शराब पीकर अपनी पत्नी को तीन बार तलक बोलता है तो वो तलाक जायज माना जायेगा , गौर तलब है की कुरान के अनुसार शराब हराम है तो फिर फ़तवा कैसे जायज हो सकता है ?
इस फतवे को लेकर पिछले लगभग १० सालो से मुस्लिम महिलाओं के कल्याण में काम करने वाली और भारतीय मुस्लिम महिला आन्दोलन की नायिशा कहती हैं की इस फतवे ने उन्हें झकझोर का रख दिया है और ये कतई मुस्लिम महिलाओं के हक में नहीं है और ऐसे फतवे देने वाले उलेमा और मौलाना मुस्लिम महिलाओं को सेकड़ो साल पीछे ले जाना चाहते हैं |



वन्दे मातरम को गाने पर फ़तवा

जमाते -उलेमा ने  बंकिम चंद जी के लिखे आन्नद मठ के चर्चित देशभक्ति गीत को लेके फ़तवा जारी किया है , इनके अनुसार ये गीत इस्लाम के विरुद्ध है और ये मात्रभूमि को पूजने का आदेश देता है |
जबकि कांग्रेस-अधिवेशनों के अलावा आजादी के आन्दोलन के दौरान इस गीत के प्रयोग के काफी उदाहरण मौजूद हैं। लाला लाजपत राय  ने लाहौर से जिस 'जर्नल' का प्रकाशन शुरू किया था उसका नाम वन्दे मातरम् रखा। अंग्रेजों की गोली का शिकार बनकर दम तोड़नेवाली आजादी की दीवानी मातंगिनी हाजरा की जुबान पर आखिरी शब्द "वन्दे मातरम्" ही थे। सन् 1909 में मैडम भिका जी कम  ने जब जर्मनी  के स्टुटगार्ट में तिरंगा फहराया तो उसके मध्य में "वन्दे मातरम्" ही लिखा हुआ था। आर्य प्रिन्टिंग प्रेस, लाहोर  तथा भारतीय प्रेस, देहरादून  से सन् १९२१  में प्रकाशित काकोरी के शहीद राम प्रशादबिस्मिल  की प्रतिबन्धित पुस्तक "क्रान्ति गीतांजलि" में पहला गीत "मातृ-वन्दना" वन्दे मातरम् ही था जिसमें उन्होंने केवल इस गीत के दो ही पद  दिये थे और उसके बाद इस गीत की प्रशस्ति में वन्दे मातरम् शीर्षक से एक स्वरचित उर्दू  गजल दी थी जो उस कालखण्ड के असंख्य अनाम हुतात्माओं की आवाज को अभिव्यक्ति देती है।


बलात्कार की शिकार लड़की को 200 कोड़े मारने की सजा

जेद्दाह : जेद्दाह में एक सऊदी अदालत ने पिछले साल सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की को 90 कोड़े मारने की सजा दी थी। उसके वकील ने इस सजा के खिलाफ अपील की तो अदालत ने सजा बढ़ा दी और हुक्म दिया: '200 कोड़े मारे जाएं।' लड़की को 6 महीने कैद की सजा भी सुना दी। अदालत का कहना है कि उसने अपनी बात मीडिया तक पहुंचाकर न्याय की प्रक्रिया पर असर डालने की कोशिश की। कोर्ट ने अभियुक्तों की सजा भी दुगनी कर दी।


इस फैसले से वकील भी हैरान हैं। बहस छिड़ गई है कि 21वीं सदी में सऊदी अरब में औरतों का दर्जा क्या है? उस पर जुल्म तो करता है मर्द, लेकिन सबसे ज्यादा सजा भी औरत को ही दी जाती है।




मस्जिद में नमाज अदा करने पर महिलाओं को मिला फतवा 


गुवाहाटी (टीएनएन) : असम के हाउली टाउन में कुछ महिलाओं के खिलाफ फतवा जारी किया गया क्योंकि उन्होंने एक मस्जिद के भीतर जाकर नमाज अदा की थी
असम के इस मुस्लिम बाहुल्य इलाके की शांति उस समय भंग हो गई , जब 29 जून शुक्रवार को यहां की एक मस्जिद में औरतों के एक समूह ने अलग से बनी एक जगह पर बैठकर जुमे की नमाज अदा की। राज्य भर से आई इन महिलाओं ने मॉडरेट्स के नेतृत्व में मस्जिद में प्रवेश किया। इस मामले में जमाते इस्लामी ने कहा कि कुरान में महिलाओं के मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है।
जिले के दीनी तालीम बोर्ड ऑफ द कम्युनिटी ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि इस तरीके की हरकत गैरइस्लामी है। बोर्ड ने मस्जिद में महिलाओं द्वारा नमाज करने को रोकने के लिए फतवा भी जारी किया।


कम कपड़े वाली महिलाएं लावारिस गोश्त की तरह: मौलवी

मेलबर्न (एएनआई) : एक मौलवी के महिलाओं के लिबास पर दिए गए बयान से ऑस्ट्रेलिया में अच्छा खासा विवाद उठ खड़ा हुआ है। मौलवी ने कहा है कि कम कपड़े पहनने वाली महिलाएं लावारिस गोश्त की तरह होती हैं , जो ' भूखे जानवरों ' को अपनी ओर खींचता है।
रमजान के महीने में सिडनी के शेख ताजदीन अल-हिलाली की तकरीर ने ऑस्ट्रेलिया में महिला लीडर्स का पारा चढ़ा दिया। शेख ने अपनी तकरीर में कहा कि सिडनी में होने वाले गैंग रेप की वारदातों के लिए के लिए पूरी तरह से रेप करने वालों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
500 लोगों की धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए शेख हिलाली ने कहा , ' अगर आप खुला हुआ गोश्त गली या पार्क या किसी और खुले हुए स्थान पर रख देते हैं और बिल्लियां आकर उसे खा जाएं तो गलती किसकी है , बिल्लियों की या खुले हुए गोश्त की ?




गले लगाना बना फतवे का कारण 


इस्लामाबाद (भाषा) : इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के धर्मगुरुओं ने पर्यटन मंत्री नीलोफर बख्तियार के खिलाफ तालिबानी शैली में एक फतवा जारी किया है और उन्हें तुरंत हटाने की मांग की है।
बख्तियार पर आरोप है कि उन्होंने फ्रांस में पैराग्लाइडिंग के दौरान अपने इंस्ट्रक्टर को गले लगाया। इसकी वजह से इस्लाम बदनाम हुआ है

फतवा: ससुर को पति पति को बेटा

एक फतवा की शिकार मुजफरनगर की ईमराना भी हुई। जो अपने ससुर के हवश का शिकार होने के बाद उसे आपने ससुर को पति ओर पति को बेटा मानने को कहा ओर ऐसा ना करने पे उसे भी फतवा जारी करने की धमकी मिली।




मौत का फ़तवा और तस्लीमा नसरीन 


बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन की ज़िंदगी पर फिर मौत का खतरा मंडराने लगा है. वो इस समय दुनिया की सबसे विवादित और चर्चित लेखिका हैं.
बांग्लादेश में तो उनकी हत्या का फ़तवा इस्लामी कट्टरपंथियों ने तभी जारी कर दिया था जब उन्होंने ‘लज्जा’ नामक उपन्यास लिखा था.
जान बचाने के लिए उन्हें अपना देश छोड़कर नॉर्वे में शरण लेनी पड़ी थी. यह वर्ष 1993 की बात है.
इसके बाद से यह विद्रोही लेखिका लगातार भाग रही है और मौत के फ़तवे उसका पीछा कर रहे हैं लेकिन बेहद चिंता की बात यह है कि अब भारत में भी उनकी मौत का फ़तवा जारी कर दिया गया है.
बांग्ला लेखिका तस्लीमा नसरीन के व्यक्तिगत, मानसिक, सांस्कृतिक और रचनात्मक संताप और संकट को पहचाना जाना चाहिए.


इस बार तस्लीमा के विरोध की कमान एक भारतीय इमाम ने संभाली, वो कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के इमाम हैं. उनका नाम एसएसएनआर बरकती है| इस बार बरकती ने तस्लीमा की हत्या का फ़तवा जारी किया है. यह पहला मौका है जब कोलकाता जैसे प्रबुद्ध और खुले हुए शहर में किसी को मौत देने का फ़तवा जारी किया गया है.|
पिछले वर्ष भी इन्हीं इमाम बरकती ने तस्लीमा नसरीन का मुँह काला किए जाने और जूतों की माला पहनाए जाने का फ़तवा जारी किया था और इस बार की तरह ही 50 हज़ार रुपयों का इनाम भी घोषित किया था|

टीवी सीरियल में हिंदू देवता बनने पर फतवा

लखनऊः अवध के नवाब अमजद अली शाह के वंशज नवाब सैय्यद बदरुल हसन उर्फ पप्पू पोलिस्टर द्वारा कई धार्मिक सीरियलों में भगवान नंदी का किरदार निभाए जाने से कई कट्टरपंथी मौलाना खफा हो गए हैं। इन मौलानाओं ने हसन के खिलाफ कलमा पढ़कर दोबारा मुसलमान बनाने का फरमान तक जारी कर दिया है
एक मुसलमान होने के नाते हिन्दू देवी-देवताओं के किरदार निभाने पर मौलानाओं की तल्ख टिप्पणियों से नवाब बदरुल हसन बुरी तरह आहत और परेशान हैं।
नवाब बदरुल हसन उर्फ पप्पू पोलिस्टर ने कई धार्मिक सीरियलों मसलन ' ओम नमः शिवाय ' , ' संतोषी माता ' , ' जय हनुमान ' और ' सत्यनारायण की कथा ' में नंदी का किरदार निभाया है। उनके बेटे अमन पोलिस्टर ने भी एक सीरियल में भगवान गणेश का किरदार निभाया है।




फतवा बना बिहार के मंत्री के लिए मुसीबत


दारुल उलूम द्वारा एक फतवे का समर्थन करने से बिहार के आबकारी मंत्री जमशेद अशरफ के लिए परेशानी बढ़ गई हैं। बिहार की इमारत ए शरीआ (शरियत समिति) ने कहा है शराब से जुड़ा कोई भी काम हराम है।
इमारत ए शरीफ के मुफ्ती मोहम्मद निजामुद्दीन ने फतवे में कहा है कि आबकारी विभाग के साथ मंत्री के रूप में काम करना गैर इस्लामिक है। अशरफ को सलाह दी गई है कि वे मुख्यमंत्री से आग्रह कर अपना मंत्रालय बदलवा लें। देवबंद के दारुल उलूम ने फतवे का समर्थन करते हुए कहा है कि शराब व्यवसाय आबकारी मंत्रालय के अधीन है इसलिए इस मंत्रालय के दायित्व को जायज नहीं ठहराया जा सकता है। 

'टीवी चैनलों के मालिकों को मार दो'

सलमान रश्दी और डैनिश कार्टूनिस्ट के बाद अब बारी टीवी चैनलों के मालिकों की है। बेसिरपैर के और आपत्तिजनक कार्यक्रम प्रसारित करने वाले चैनलों को क्या सजा मिलनी चाहिए, इस पर भारत सहित अनेक देशों में जारी विचार-विमर्श के बीच सऊदी अरब के मुख्य न्यायाधीश ने कड़ी राय व्यक्त की है।


शेख सालिह अल लोहैदान का कहना है अनैतिक और आपत्तिजनक कार्यक्रम प्रसारित करने वाले सैटलाइट चैनलों के मालिकों को सजा-ए-मौत दे देनी चाहिए। सऊदी अरब की सर्वोच्च न्यायिक परिषद के अध्यक्ष लोहैदान ने सरकारी रेडियो पर एक श्रोता के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जो सैटलाइट चैनल अनैतिक कारर्यक्रम प्रसारित करते हैं उनके मालिक को मार दिया जाना चाहिए।

गणेश पूजा को लेकर सलमान खान के खिलाफ फतवा

मुंबई. बोलिवुड स्टार सलमान खान के पिता जाने माने स्क्रीप्ट राइटर सलीम खान ने उनके खिलाफ मुस्लिम संगठनों द्वारा लगाए गए फतवे पर सवाल उठाया है। यह फतवा उनके परिवार के गणेश उत्सव को मनाने को लेकर लगाया गया है
सलीम खान ने एक टीवी में दिए इंटरव्यू में कहा कि धार्मिक मान्यताओं पर सवाल उठाने वाले ये लोग कौन हैं? खान ने यह भी कहा कि धर्म के खिलाफ फतवा जारी करने वाले ये लोग आतंकवादी और आतंकवाद के खिलाफ फतवा क्यों नहीं करते हैं?
दारुल-उलूम हिजाजिया चिस्ती, मुंबई के प्रमुख मुफ्ती मंजर हसन खान अशरफी मीसबाही ने खान के पूरे परिवार का धार्मिक बहिष्कार करते हुए इनके खिलाफ फतवा जारी किया था।
गौरतलब है कि बीते दिन सलमान खान और उनका परिवार बांद्रा स्थित अपने घर पर गणोश उत्सव में शामिल होकर खूब नाच-गाना किया था जिसको लेकर ये लोग प्रकाश में आ गए।


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सलन लॉ बोर्ड के सदस्य ने भी कहा कि खान और उनका परिवार जब तक गणेश की पूजा बंद करने पर राजी नहीं हो जाते तब तक यह फतवा उनके खिलाफ जारी ही रहेगा। उन्होंने कहा कि इस्लाम में गणपति भक्ति की कोई मंजूरी नहीं है।



बैंक में खाता खुलवाने पर  फतवा
सहारनपुर स्थित सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संस्थान दारूल उलूम देवबन्द ने लखनऊ के सलीम चिश्ती के प्रश्न के उत्तर में फतवा जारी किया है कि बैंक से ब्याज लेना या जीवन बीमा कराना इस्लामी कानून या शरियत के विरूद्ध है. दारूल उलूम के दो मुफ्तियों के साथ परामर्श कर मोहम्मद जफीरूद्दीन ने यह फतवा जारी किया | आल इण्डिया पर्सनल लॉ बोर्ड के अनेक सदस्यों ने इसे उचित ठहराया है. उनके अनुसार जीवन बीमा कराने का अर्थ है अल्लाह की सर्वोच्चता को चुनौती देना| यह नवीनतम उदाहरण मुसलमानों की स्थिति पर फिर से विचार करने के लिये पर्याप्त है| आखिर जब इस आधुनिक विश्व में जब सभी धर्मावलम्बी लौकिक विषयों में देश के कानूनों का अनुपालन करते हैं तो फिर एक धर्म अब भी लौकिक सन्दर्भों में शरियत का आग्रह क्यों रखता है. हो सकता है बहुत से लोगों का तर्क हो कि कितने मुसलमान शरियत के आधार पर चलते हैं, परन्तु प्रश्न शरियत के पालन का उतना नहीं है जितना यह कि शरियत का पालन कराने की इच्छा अब भी मौलवियों और मुस्लिम धर्मगुरूओं में है| यही सबसे खतरनाक चीज है क्योंकि शब्द और विचार ही वे प्रेरणा देते हैं जिनसे व्यक्ति कुछ भी कर गुजरने का जज्बा पालता है. मुस्लिम समस्या का मूल यहाँ है, जब तक उनकी इस मानसिकता में बदलाव नहीं आयेगा प्रत्येक युग में इस्लामी कट्टरता का खतरा बना रहेगा|

'मस्जिद वाली सड़क से महिलाओं का गुजरना गैर-इस्लामी

ढाका : बांग्लादेश के एक कस्बे में पिछले साल  मुस्लिम महिलाओं को एक खास सड़क पर जाने से रोक दिया गया। एक स्वयंभू मौलवी का कहना है कि सड़क पर मस्जिद होने के कारण इस्लामी कानून के मुताबिक वहां महिलाओं की उपस्थिति इस्लामिक कानूनों के लिहाज से नाजायज है।
खास बात यह कि इस सड़क पर डाकघर के साथ ही तमाम लोगों के घर भी हैं। अपने को पीर कहने वाले रिटायर्ड सैनिक अब्दुस सत्तार हाथ में लाठी लिए चटगांव के फिरोजपुर कस्बे में पिछले महीने से उस सड़क की रखवाली में लगे हुए हैं। द डेली स्टार ने  बताया कि सत्तार के खिलाफ प्रशासन की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बारा मस्जिद की दीवार पर लिखा गया है, 'इस सड़क पर महिलाओं का आवागमन वर्जित है।'
इस मस्जिद के बगल में उसी सड़क पर कस्बे का डाकघर व कई लोगों के अपने घर भी हैं। अस्पताल के लिए भी इसी सड़क से होकर जाना होता है। समाचार पत्र के अनुसार सड़क से गुजरने वाली यहां की महिलाओं व स्कूली लड़कियों को धमकाया जाता है और उन पर फब्तियां कसी जाती हैं।

तो मित्रों ये थे कुछ चर्चित फतवों के उदहारण कुछ ऐसे भी हैं जो मिडिया में नहीं आ पाते और लोगो को पता नहीं चलता .....कैसा लगा आपको ���े लेख इसकीप्रतिकिरिया अपेक्षित है ...खासकर मुस्लिम भाइयों से |