Tuesday 12 June 2012

गौमाता को मारना मुसलमानों के लिए आवश्यक है ?



गौमाता को मारना मुसलमानों के लिए आवश्यक है ?

अक्सर गोवंश की हत्या और गौहत्या के लिए मुसलमानों को जोड़कर देखा जाता है, तथा यहभ्रान्ति फैलाई जाती है कि धार्मिक कार्यों के तहत गौमाता को मारना मुसलमानों के लिए आवश्यक है, परन्तु इस बात में कोई सच्चाई नहीं है !

सबसे बड़ा तथ्य तो यह है कि जब अरब देशों में जहाँ इस्लाम का जन्म हुआ वहाँ गाय होती ही नहीं !

फिर धार्मिक बंदिश के तहत गाय की कुर्बानी को कैसे आवश्यक बताया जा सकता है?

इस्लाम धर्म के हदीस में कहा गया है कि गाय के गोस्त (मांस) से कई तरह की बीमारियाँ होती हैं, तथा गाय का दूध - दवाई और गाय का घी रसायन है ! पैगम्बर मुहम्मद साहब नाशियातहादी ग्रन्थ में कहते हैं कि गाय का दूध और घी तुम्हारी तंदुरुस्ती के लिए बहुत अच्छा और जरूरी है, किन्तु गाय का मॉस नुकसान करने वाला है !

कुरान में गोकुशी (गोहत्या) करना आवश्यक विधि नहीं है ! इतिहास साक्षी है कि पहले मुग़ल शासक बाबर ने अपने पुत्र हुमायूं को गोवाश की हत्या न करने के सम्बन्ध में पत्र लिखकर कहा था कि तुम अपने शासन में कभी गोवंश की हत्या न होने देना तथा सदा गाय की हिफाजत करना ! अकबर जैसे उदार शासक ने सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) को भली प्रकार समझा, अत्यधिक प्रभावित भी हुआ और अपने शासनकाल में गोहत्या पर पाबन्दी लगाई ! औरंगजेब तो इस्लाम के विषय में ही भ्रमित था और पूरी तरह शाकाहारी था ! इतना ही नहीं अकबर और औरंगजेब तो सदा पीने के लिए गंगाजल को ही पसंद करते थे !

अनेक मुग़ल शासकों के शासन काल में गौवंश की हत्या पूर्ण: बंद थी ! बहादुर शाह जफ़र ने तो हिन्दुओं के साथ प्रेम की मिशाल कायम की दिल्ली का लालकिला मैदान उन्ही के द्वारा हिन्दुओं को प्रदान किया गया, उन्होंने ही सर्वप्रथम रावण का पुतला दहन करवाया और तो और उनके राज्य में तो ईद के दिन पहरा रहता था, ताकि कोई गाय का क़त्ल न कर दे ! कश्मीर जैसे मुस्लिम प्रधान राज्य में भी गोवंश हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध था !

मुग़ल शासन के पतन और साथ ही साथ दुनिया भर में औद्योगिक संस्कृति का प्रचार बढ़ता गया, और पूरे विश्व में साम्राज्यवाद भी बढ़ने लगा, जिसके कारण बहुत से राष्ट्र गुलाम हो गए ! हमारे देश पर भी अंग्रेजों ने अधिकार जमा लिया, भारत भी अंग्रेजों का गुलाम हो गया ! लगातार बढ़ते मशीनीकरण ने हमारे हमारे उद्योगों को बर्बाद किया, भारतीय मानस के विचार शक्ति को भी पतन की और ढकेल दिया और शुरू हुआ भारतीय पतन का युग ! मशीनी युग में प्राकृतिक उपहारों का उपयोग समाप्त होने लगा और प्रकृति का शोषण आरम्भ हो गया जो आज भी निरंतर जारी है !

जो पशु कभी मानव के मित्र और सहयोगी हुआ करते थे, उन पशुओं का भी उत्पाद की संज्ञा दी जाने लगी ! इस अवस्था में अन्धकार युग से आये अंग्रेजो के हाथ लगी भारतीय गाय और उसका वंश क्योंकि उस समय भारत में इनका बाहुल्य था ! अंग्रेजों के शासनकाल में गाय-बैलों का दुर्दांत क़त्ल आरम्भ हुआ और गोवंश का मांस, चमडा, सींग, हड्डियाँ आदि का एक व्यवसाय बन गया ! ब्रिटिश फ़ौज में गोमांस पूर्ति के के लिए गौमाता को क़त्ल करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने मुस्लिम कसाइयों को इस धंधे में लगाया ताकि हिन्दू-मुसलामानों का आपस में बैर बढे और उनकी ** फूट डालो शासन करो ** वाली नीति कामयाब हो ! भारतीय गरीब दूध न देने वाली गौमाता को तथा पश्चिमी उपकरणों के सामने कमजोर पड़े, गोवंश को बेचने के लिए विवश था और लोभी इसका लाभ उठाने के लिए विवश थे !

देश का महान दुर्भाग्य तब सामने आया जब कुछ स्वार्थी और पथभ्रष्ट हिन्दुओं ने समाज को भ्रमित करने के लिए गौमाता को सामान्य पशु कह डाला और कहीं ना कहीं हिन्दुओं ने भी गो-रक्षा से मुहं मोड़ लिया ! जिस पवित्र भावना को इस्लामी शासक न समाप्त कर सके, उसी परम भावना को, श्रद्धा को, हिन्दुओं में पैदा होने वाले अंग्रेजों और स्वार्थी नेताओं ने अपने ही हाथों समाप्त कर डाला ! भारतीय संस्कृति की आधारभूत व्यस्था हमारे स्वार्थ के कारण समाप्ति की कगार पर चली गयी !

भारत की उन्नति और प्रगति का स्रोत गोवंश ही रहा ! इसे खोकर केवल मशीनों के गुलाम बनकर हम भारत को आगे नहीं ले जा सकते, हमें नैतिकता और प्रकृति से मित्रता की आवश्यकता है !

पढ़ने वाले सभी हिन्दुओं से अनुरोध है कि यदि आप गोवंश की खरीद फ़रोख्त होते देखतें है, और बेंचने वाला अगर हिन्दू है तो उसे गौ की महिमा समझाएं , क्योंकि मुसलमान भाई से पूछो की भैया तुम गाय और गोवंश को क्यों काटते हो तो भाईजान सीधा उत्तर देते हैं - कि आप बेंचते क्यों हो ! आप बेंचते हो तो हम काटते है !!#

मुसलमान पाठकों से भी अनुरोध है की वे गौ-हत्या रोकने में सहयोग करें, केवल इसी कदम से ही हिन्दू-मुसलमान एकता स्थापित हो जायेगी अत्यधिक प्रयास तो करना ही नहीं पड़ेगा !

कुछ तुम चलो, कुछ हम चले, मंजिल नजर आएगी ^ और अदि साथ - साथ चले तो मंजिल तक निश्चित ही पहुँच जायेंगे !

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